चंचुला की रहस्यमयी शिव कथा

Shiv Puran Katha
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 चौथा अध्याय :

चंचुला की रहस्यमयी शिव कथा में डूबी रुचि और शिवलोक का गमन


Chanchula's mystical ascension to Shivlok in Shiv Puran, featuring Lord Shiva with five faces and three eyes, Goddess Gauri, and a divine vimana in a celestial landscape symbolizing devotion, repentance, and liberation.


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ब्राह्मण ने गहन रहस्य भरी आवाज में कहा - हे नारी, तुम अनंत काल के सौभाग्य की भागीदार हो गई हो, क्योंकि भगवान शंकर की गूढ़ अनुकंपा से तुमने वैराग्य से भरी उस शिव पुराण कथा का श्रवण किया, जो समय के पर्दे के पीछे छिपी तुम्हारी भूलों को उजागर कर रही है। डर को अपने हृदय से निकाल फेंको और शिव की उस अंधकार-नाशक शरण में प्रवेश करो, जहां उनकी परम दया के स्पर्श से तुम्हारे सारे पाप अदृश्य होकर विलीन हो जाएंगे। मैं तुम्हें शिव की उस रहस्यपूर्ण कथा के साथ वह गुप्त मार्ग बताऊंगा, जो तुम्हें अज्ञात सुखों की उत्तम गति प्रदान करेगा, जहां हर छाया में दिव्य प्रकाश छिपा है।

शिव कथा के श्रवण से तुम्हारी बुद्धि शुद्ध हो चुकी है, और तुम्हारे हृदय में पश्चाताप की एक गहन लहर उमड़ आई है, साथ ही वैराग्य का रहस्यमय बीज अंकुरित हो गया है। यह पश्चाताप ही पापियों के लिए सबसे बड़ा और गुप्त प्रायश्चित है, जो पापों को भस्म करने वाली अग्नि की तरह कार्य करता है। इससे ही पापों की शुद्धि होती है, जैसे कोई अंधेरी गुफा में छिपा प्रकाश अचानक प्रकट हो जाए। सत्पुरुषों के अनुसार, पापों की शुद्धि के लिए प्रायश्चित पश्चाताप के माध्यम से ही पूर्ण होता है। जो मनुष्य अपने कुकर्मों पर पश्चाताप नहीं करता, वह उत्तम गति से वंचित रहता है, परंतु जिसके हृदय में अपने कुकृत्यों पर गहरा, हार्दिक पश्चाताप उमड़ता है, वह निश्चित रूप से उत्तम गति का भागी बनता है। इसमें कोई छिपा संदेह नहीं है, यह सत्य काल के गर्भ में छिपा हुआ है।

शिव पुराण की कथा सुनने से चित्त की शुद्धि होती है और मन इतना निर्मल हो जाता है कि वह रहस्यमय तरीके से प्रकाशित हो उठता है। शुद्ध चित्त में ही भगवान शिव और पार्वती का वास होता है, जैसे कोई गुप्त मंदिर में देवता निवास करते हैं। वह शुद्धात्मा पुरुष सदाशिव के पद को प्राप्त करता है, जहां हर रहस्य खुल जाता है। इस कथा का श्रवण सभी मनुष्यों के लिए कल्याणकारी है, अतः इसकी आराधना और सेवा करनी चाहिए, जैसे कोई खोई हुई खजाने की खोज करता है। यह कथा भवबंधन रूपी उस रहस्यमय रोग का नाश करने वाली है, जो जीवन को जकड़ लेता है। भगवान शिव की कथा सुनकर हृदय में उसका मनन करना चाहिए, जैसे कोई गहन रहस्य को सुलझाने का प्रयास करता है। इससे चित्त की शुद्धि होती है। चित्तशुद्धि होने से ज्ञान और वैराग्य के साथ महेश्वर की भक्ति निश्चय ही प्रकट होती है, तथा उनके अनुग्रह से दिव्य मुक्ति प्राप्त होती है, जो संसार के पर्दे के पीछे छिपी है। जो मनुष्य माया के प्रति आसक्त है, वह इस संसार बंधन से मुक्त नहीं हो पाता, जैसे कोई भूलभुलैया में फंसा रहता है।

हे ब्राह्मण पत्नी, तुम अन्य विषयों से अपने मन को हटाकर भगवान शंकर की इस परम पावन कथा को सुनो – इससे तुम्हारे चित्त की शुद्धि होगी और तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी, जो एक रहस्यमय द्वार की तरह खुलेगा। जो मनुष्य निर्मल हृदय से भगवान शिव के चरणों का चिंतन करता है, उसकी एक ही जन्म में मुक्ति हो जाती है, जैसे कोई गुप्त खजाना अचानक मिल जाए।

सूत जी कहते हैं - शौनक, यह कहकर वे ब्राह्मण चुप हो गए। उनका हृदय करुणा से भर गया, जैसे कोई गहन समुद्र में डूबा हो। वे ध्यान में मग्न हो गए, जहां रहस्यों की दुनिया खुल रही थी। ब्राह्मण का उक्त उपदेश सुनकर चंचुला के नेत्रों में आनंद के आंसू छलक आए, जैसे कोई छिपी हुई नदी बह निकली हो। वह हर्ष भरे हृदय से ब्राह्मण देवता के चरणों में गिर गई और हाथ जोड़कर बोली - मैं कृतार्थ हो गई, जैसे कोई खोई हुई आत्मा को अपना घर मिल गया हो। हे ब्राह्मण! शिवभक्तों में श्रेष्ठ स्वामिन, आप धन्य हैं। आप परमार्थदर्शी हैं और सदा परोपकार में लगे रहते हैं, जैसे कोई रहस्यमय संत जीवन बचाता है। साधो! मैं नरक के समुद्र में गिर रही हूं, जहां अंधकार और दर्द की लहरें हैं। कृपा कर मेरा उद्धार कीजिए। जिस पौराणिक व अमृत के समान सुंदर शिव पुराण कथा की बात आपने की है, उसे सुनकर ही मेरे मन में वैराग्य उत्पन्न हुआ है, जैसे कोई गुप्त जादू कार्य कर रहा हो। उस अमृतमयी शिव पुराण कथा को सुनने के लिए मेरे मन में बड़ी श्रद्धा हो रही है। कृपया आप मुझे उसे सुनाइए, ताकि मेरे हृदय के सारे रहस्य खुल जाएं।

सूत जी कहते हैं - शिव पुराण की कथा सुनने की इच्छा मन में लिए हुए चंचुला उन ब्राह्मण देवता की सेवा में वहीं रहने लगी, जैसे कोई रहस्यपूर्ण यात्रा पर निकल पड़ी हो। उस गोकर्ण नामक महाक्षेत्र में उन ब्राह्मण देवता के मुख से चंचुला शिव पुराण की भक्ति, ज्ञान और वैराग्य बढ़ाने वाली और मुक्ति देने वाली परम उत्तम कथा सुनकर कृतार्थ हुई, जहां हर शब्द में गहन भावनाएं छिपी थीं। उसका चित्त शुद्ध हो गया, जैसे कोई पुरानी धुंध छंट गई हो। वह अपने हृदय में शिव के सगुण रूप का चिंतन करने लगी, जहां पछतावा, प्रेम और रहस्य का मिश्रण था। वह सदैव शिव के सच्चिदानंदमय स्वरूप का स्मरण करती थी, जैसे कोई गुप्त मंत्र जप रही हो। तत्पश्चात अपना समय पूर्ण होने पर चंचुला ने बिना किसी कष्ट के अपना शरीर त्याग दिया, जैसे कोई आत्मा मुक्त होकर उड़ान भर रही हो। उसे लेने के लिए एक दिव्य विमान वहां पहुंचा। यह विमान शोभा-साधनों से सजा था एवं शिव गणों से सुशोभित था, जहां हर कोना रहस्य और प्रकाश से भरा था।

चंचुला विमान से शिवपुरी पहुंची, जहां उसके सारे पाप धुल गए, जैसे कोई गहन अंधकार से निकलकर प्रकाश में आई हो। वह दिव्यांगना हो गई। वह गौरांगीदेवी मस्तक पर अर्धचंद्र का मुकुट व अन्य दिव्य आभूषण पहने शिवपुरी पहुंची। वहां उसने सनातन देवता त्रिनेत्रधारी महादेव शिव को देखा। सभी देवता उनकी सेवा में भक्तिभाव से उपस्थित थे। उनकी अंग कांति करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशित हो रही थी। पांच मुख और हर मुख में तीन-तीन नेत्र थे, मस्तक पर अर्द्धचंद्राकार मुकुट शोभायमान हो रहा था। कंठ में नील चिन्ह था। उनके साथ में देवी गौरी विराजमान थी, जो विद्युत पुंज के समान प्रकाशित हो रही थीं। महादेव जी की कांति कपूर के समान गौर थी। उनके शरीर पर श्वेत वस्त्र थे तथा शरीर श्वेत भस्म से युक्त था।

इस प्रकार भगवान शिव के परम उज्ज्वल रूप के दर्शन कर चंचुला बहुत प्रसन्न हुई, जैसे कोई जीवन का सबसे बड़ा रहस्य खुल गया हो। उसने भगवान को बारंबार प्रणाम किया और हाथ जोड़कर प्रेम, आनंद और संतोष से युक्त हो विनीतभाव से खड़ी हो गई। उसके नेत्रों से आनंदाश्रुओं की धारा बहने लगी, जहां पछतावा प्रेम में बदल रहा था। भगवान शंकर व भगवती गौरी उमा ने करुणा के साथ सौम्य दृष्टि से देखकर चंचुला को अपने पास बुलाया, जैसे कोई गुप्त निमंत्रण दे रहे हों। गौरी उमा ने उसे प्रेमपूर्वक अपनी सखी बना लिया। चंचुला सुखपूर्वक भगवान शिव के धाम में, उमा देवी की सखी के रूप में निवास करने लगी, जहां हर पल में अनंत प्रेम, रहस्य और मुक्ति की छाप छिपी थी – एक ऐसा अंत जो हृदय में देर तक गूंजता रहता है, पश्चाताप को शांति में बदलकर, और जीवन को शिव की भक्ति में विलीन कर देता है।

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